संसद और किसान
दुनिया से सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और दुनिया से सबसे पुराने कामगारों, किसानों का रिश्ता बहुत गहरा है। देश का किसान जब-जब सड़कों पर उतरा है संसद में किसानों को लेकर संवाद अपने शीर्ष पर पहुंचा है।
किसान भारत की अर्थव्यवस्था की नींव है और संसद इस नींव को मजबूत बनाने का आधार।
प्रधानमंत्री ने जब आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया तब उसमें कृषि का हिस्सा सबसे बड़ा है। संसद में किसानों का उल्लेख किए बिना शायद ही कोई सत्र संपन्न हुआ हो।
वर्तमान में शुरू हुए संसद से शीतकालीन सत्र में भी किसान का मुद्दा सर्वोपरि रहने वाला है। प्रधानमंत्री द्वारा तीनो कृषि कानून के रिपील करने के एलान के साथ ही 24 नवंबर को इनकी वापसी का का 'कृषि कानून निरस्त विधेयक 2021' केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूर कर संसद से पास किया।
इस बार विपक्ष सरकार के साथ:
17 सितंबर 2020 ये वो तारीख थी जब संसद में खेती से जुड़े तीनों कानून पास हो गए थे। विपक्ष ने संसद में इनके खिलाफ गतिरोध उत्पन्न कर पुरजोर मुखालफत करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया था। वहीं 29, नवंबर 2021 वो तारीख है जब 'कृषि कानून निरस्त विधेयक 2021' संसद से विपक्ष और सत्ता पक्ष के एक मत होने से बिना विरोध पास हो गया है।
पीएम का संदेश:
संसद का शीतकालीन सत्र शुरु होने से पहले हर बार की तरह मीडिया से बातचीत करने पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘संसद में सरकार हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है, संसद का ये सत्र बेहद अहम है. देश का हर नागरिक चाहेगा कि संसद के हर एक सत्र में देश की प्रगति की चर्चा हो. देशहित और विकास के लिए संसद में चर्चा हो...भविष्य में संसद को कैसा चलाया, कितना अच्छा योगदान दिया, कितना सकारात्मक काम हुआ, उस तराजू पर तोला जाए. न कि मापदंड ये होना चाहिए कि किसने कितना जोर लगाकर सत्र को रोका'
संसद से वापसी के साथ वापस लौटेंगे किसान?
'कृषि कानून निरस्त विधेयक 2021' के लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद आंदोलित किसानों की घर वापसी की उम्मीद जताई जा रही है। कुछ किसान संगठनों ने इसके संकेत भी दिए है। सरकार पहले ही आंदोलन खत्म करने की बात किसानों से कर चुकी है।
किसानों का ट्रैक्टर मार्च रद्द:
इससे पहले किसानों ने 29 नवंबर को निकाला जाने वाला अपना ट्रैक्टर मार्च रद्द कर दिया था। किसानों ने सरकार को 4 दिसंबर तक फैसला लेने का समय दिया। किसान नेताओं ने कहा कि 29 नवंबर का संसद मार्च का कार्यक्रम स्थगित है, खत्म नहीं है।
संवाद और विश्वास:
संविधान ने देश की संसद को ये अधिकार दिया है कि वो अपने नागरिकों के हितों, उन्नति और संरक्षण हेतु जरूरी कानून बनाए, पुराने कानूनों में संशोधन करे। देश का किसान भी इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास रखता है। बीते दो संविधान दिवसों के अंतराल में किसानों ने लोकतंत्र की गरिमा को नई धारा दी है जिसे सरकार ने भी खुले मन से स्वीकार करते हुए भारतीय संसद और किसानों के संवाद और विश्वास को और मजबूत किया है।
डिस्क्लेमर:
ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।
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