23 मार्च: शहीदी दिवस

WhatsApp Image 2022-03-23 at 8.28.10 AM.jpeg

शहीदी दिवस के अवसर पर भारत माता के अमर सपूत "शहीद -ए-आज़म" भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जी को शत शत नमन अर्पित करते हैं।

आपको बताते चलें कि देश को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराते कराते आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी।

उन्हीं की याद में प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को पूरा देश अपने महान सपूतों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

आइये इस पावन अवसर पर "शहीद-ए-आज़म" भगत सिंह के कुछ अनमोल विचार आपके सामने प्रस्तुत करते हैं जो आपको जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे-

देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।

मेरा धर्म देश की सेवा करना है।

बड़े बड़े साम्राज्य तहस नहस हो जाते हैं, पर विचारों को कोई ध्वस्त नहीं कर सकता।

जिन्दा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मै कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता।

जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती हैदूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं। 

प्रेमीपागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं। 

अगर कोई आपके विकास की राह के बीच रोड़ा बने तो आपको उसकी आलोचना करनी चाहिए और इसे चुनौती देनी चाहिए।

अगर आपको मेरे अनमोल वचन प्रेरित करते हैं तो बदलाव लाने की हिम्मत करते समय बिलकुल मत सोचिये।

 

मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी।

मेरे जीवन का केवल एक ही लक्ष्य है और वो है देश की आज़ादी. इसके अलावा कोई और लक्ष्य मुझे लुभा नहीं सकता।

मेरे सीने पर जो जख्म हैं, वो सब फूलों के गुच्छे हैं, हमको पागल रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं।

बड़े बड़े साम्राज्य तहस नहस हो जाते हैं, पर विचारों को कोई ध्वस्त नहीं कर सकता।

जिन्दा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मै कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता।

मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी।

किसी व्यक्ति की हत्या करना आसान है, पर उसके विचारों की हत्या करना नामुमकिन है।

आज जो मै आगाज लिख रहा हूँ, उसका अंजाम कल आएगा. मेरे खून का एक एक कतरा कभी तो इन्कलाब लाएगा।

यदि बहरों को कुछ सुनाना है तो हमें अपनी आवाज़ को धमाकेदार बनाना होगा. ये कुछ ऐसे भगत सिंह के अनमोल विचार हैं जो लोगों में जोश फूंक दिया करते हैं।

क्रान्ति लाना हमारे बस की नहीं, क्रान्ति तो विशेष परिस्थतियों में अपने आप ही आती है।

अगर अपने दुश्मन से बहस करनी है और उससे जीतना है तो इसके लिए अभ्यास करना जरूरी है।

कोई भी व्यक्ति कोई ख़ास कार्य तभी करता है जब वो उसके औचित्य को सुनिश्चित कर लेता है. जिस तरह से हमने विधान सभा में बम फेंका था, वो भी एक ऐसा ही कार्य था।

मुसीबतें इंसान को पूर्ण बनाने का काम करती हैं, हर स्थिति में धैर्य बनाकर रखें।

मै एक इंसान हूँ और मानवता को प्रभावित करने वाली हर चीज़ से मतलब रखता हूँ।

लेखक के बारे में

Azadi.me
डिस्क्लेमर:

ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।

Comments

जनमत

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति महामारी जैसी परिस्थितियों से निबटने के लिए उचित प्रावधानों से युक्त है?

Choices