विश्व पर्यावरण दिवस

विश्व पर्यावरण दिवस की कैसे हुई थी शुरुआत? जानें इसके पीछे की कहानी?

इंसान के जीने के लिए सभी जरूरी चीजें हमें पर्यावरण से ही मिलती हैं। इसलिए जरूरी होता है कि हम पर्यावरण की रक्षा करें और धरती पर संतुलन बनाए रखें। आज के इस औद्योगिक सभ्यता वाले युग में पर्यावरण बुरी तरह से दूषित हो रहा है। पर्यावरण में प्रदूषण के बढ़ते लेवल की वजह से कभी बारिश तो कभी सूखे की स्थिति रहती है। ऐसे में जरूरी है कि लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरुक कराया जाए।

प्रत्येक वर्ष 5 जून की तारीख को ‘‘विश्व पर्यावरण दिवस’’ के रूप में मनाया जाता है। आज औद्योगीकरण के इस दौर ने पर्यावरण के लिहाज से भयानक रूप ले लिया है, हर दिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और बढ़ते प्रदूषण के कारण हमारा इकोसिस्‍टम बड़ी तेजी से नकारात्मक बदलवों का सामना कर रहा है। इसी नुकसान के मद्देनजर पर्यावरण को सुरक्षा देने के संकल्प लेने के मकसद से हर साल 5 जून को ‘‘विश्व पर्यावरण दिवस’’ मनाया जाता है। बता दें कि ये खास दिवस 143 से अधिक देशों को एक मंच पर लाकर समुद्री प्रदूषण, ओवरपॉपुलेशन, ग्लोबल वॉर्मिंग, सस्टनेबल कंजम्पशन और वाइल्ड लाइफ क्राइम जैसे पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाता है।

कैसे हुई थी पर्यावरण दिवस की शुरुआत?

1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को देखते हुए स्टाकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था, इसमें 119 देशों ने भाग लिया। इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ तथा हर साल 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था।

क्या है इस बार की थीम?

विश्व पर्यावरण दिवस’ को हर साल नए थीम के साथ मनाया जाता है. ऐसे में ‘‘विश्व पर्यावरण दिवस’’ 2023 की थीम "Solutions to Plastic Pollution" यानि प्लास्टिक प्रदूषण के समाधान पर आधारित है। #BeatPlasticPollution अभियान के तहत प्लास्टिक प्रदूषण का समाधान है।

‘‘विश्व पर्यावरण दिवस’’ के महत्व को समझिए

‘‘विश्व पर्यावरण दिवस’’ 2023 का मूल उद्देश्य दुनियाभर में लोगों के बीच पर्यावरण से जुड़े मुद्दे जैसे ब्लैक होल इफेक्ट, ग्रीन हाउस के प्रभाव, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग आदि मुद्दों पर जागरूक करना है। साथ ही पर्यावरण की रक्षा के लिए लोगों को प्रेरित करना है।

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