यूजीन वॉन बॉम-बावेर्क
व्यक्तित्व एवं कृतित्व
[1851 – 1914]
यूजीन वॉन बॉम-बावेर्क ऑस्ट्रीयाई अर्थशास्त्र की अध्ययनशाला के मुख्य अर्थशास्त्री थे. उनके अर्थशास्त्र के विचारों को कार्ल मेन्गर ने खोजा और उस पर तर्क नट विक्सेल, लुगविग वॉन मीज़ीस, फ्रेडरिक ए. हायक और सर जॉन हिक्स ने दिए. बॉम-बावेर्क प्रथम विश्वयुद्ध से पहले काफी जाना-माना नाम हो गया था. उनके समकालीन जो मार्क्सवादी विचारधारा को मानने वाले थे, उन्होंने बॉम-बावेर्क विशिष्ट मध्यमवर्गीय बौद्धिक शत्रु माना.
उनका ब्याज और पूंजी का सिद्धांत अर्थशास्त्र के विकास में उत्प्रेरक है किंतु आज उनके मौलिक कार्य पर भी ध्यान दिया जा रहा है. बॉम-बावेर्क ने ब्याज की दरों के सकारात्मक होने के तीन कारण दिए. पहला, लोगों की आमदनी की सीमांत उपयोगिता (marginal utility) एकदम से गिर जाएगी क्योंकि वे भविष्य में अधिक आय की अपेक्षा करेंगे. दूसरा मनोवैज्ञानिक कारण है वस्तुओं की सीमांत उपयोगिता (marginal utility) समय के साथ कम होगी जिसे अब अर्थशास्त्री “सकारात्मक समय का चुनाव” कहते हैं. बॉम-बावेर्क ने लिखा कि लोग अपनी इच्छा से सकारात्मक ब्याज देने के लिए राजी होंगे क्योंकि वर्तमान में धन बटोरना उनकी पहुंच में है. वे इस अवसर को नहीं गंवाना चाहते. अर्थशास्त्रियों ने दोनों ही कारणों को समय के सकारात्मक चुनाव के योग्य कारण माने.
बॉम-बावेर्क का तीसरा कारण भविष्य में वर्तमान माल की तकनीकि श्रेष्ठता विवादास्पद है. यह तीसरी वजह थोड़ी विवादास्पद और साथ ही साथ समझने में कठिन भी है. उन्होंने उत्पादन की प्रक्रिया के संबंध में लिखा है कि यह उत्पादन की अधिकता के समान है और इसमें समय लगता है. इसमें पूंजी का उपयोग किया जाता है और भूमि तथा श्रम जैसे उत्पादक तत्वों को बदलकर उत्पादों या वस्तुओं का उत्पादन होता है जो बाद में अनुत्पादक होते हैं. उदाहरण के लिए जमीन और श्रमिक पैदावार में उत्पादन की अधिकता का मतलब समान मात्रा का निवेश से अधिक लाभ का उत्पादन करेगा.
यह उदाहरण इस बिंदु को समझने में मदद करता है कि मछुआरों के गांव के बुजुर्ग नेता होने के नाते वे लोगों को खाली हाथ मछली पकड़ने के लिए भेज देते हैं और गांव के एक दिन के भरण-पोषण को सुनिश्चित करते हैं. अगर वह एक दिन की मछलियों की खपत के विषय में सोचना छोड़ कर वह नेता पूंजी का उपयोग श्रमिकों के साथ मिलकर जाल और हुक बनाने में करेगा तो प्रत्येक मछुआरा दिन-ब-दिन अधिक मछलियां पकड़ेगा. अतः सिद्ध होता है कि पूंजी उत्पादक है.
बॉम-बावेर्क ने तर्क दिया कि पूंजी में और निवेश उत्पादन की अधिकता को और बढ़ाता है जो कि उत्पादक समय को बढ़ाती है. इस आधार पर बॉम-बावेर्क इस नतीजे पर पहुंचे कि पूंजी की शुद्ध भौतिक उत्पादकता सकारात्मक ब्याज दर की ओर बढ़ती है. चाहे पहले दो कारण न हों.
उनका पूंजी का सिद्धांत ऑस्ट्रियाई अर्थशास्त्र के कोने में रखे पत्थर के समान था. आधुनिक मुख्यधारा के अर्थशास्त्री बॉम-बावेर्क के उत्पादन की अधिकता के विवेचन पर ध्यान नहीं देते. इसकी जगह वे इरविंग फिशर के विचार को मानते हैं जिनके अनुसार जहां भी निवेश संभावना है वहां पूंजी उत्पादक होती है. बॉम-बावेर्क के प्रयासों ने आधुनिक ब्याज सिद्धांत के विकास का रास्ता सहज बना दिया.
बॉम-बावेर्क पहले अर्थशास्त्री थे जिन्होंने कार्ल मार्क्स के विचारों पर गंभीरता से बहस की. श्रमिकों का शोषण करने से ब्याज अस्तित्व में नहीं रहता. श्रमिकों को उत्पादन का संपूर्ण हिस्सा मिलना चाहिए यदि उत्पादन तत्क्षण हो. यदि उत्पादन बहुत अधिक है तो उन्होंने लिखा कि कुछ उत्पाद जिसका विश्लेषण मार्क्स ने किया और कहा कि श्रमिकों को उत्पाद के लगभग वित्त मिलना चाहिए और जो पूंजी में शामिल हो.
बॉम-बावेर्क ने माना कि ब्याज का भुगतान होना ही चाहिए. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की पूंजी किसकी है. मुख्यधारा के अर्थशास्त्री आज तक इस तर्क को मानते हैं.
बॉम-बावेर्क का जन्म विएना में हुआ. विएना विश्वविद्यालय में ही उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. इन्सबुर्क विश्वविद्यालय में पढ़ाने और प्रशासनिक सेवा में काम करने के बाद उन्हें 1895, 1897 और 1900 में वित्त मंत्री नियुक्त किया गया. 1904 में उन्होंने मंत्रालय छोड़ दिया और विएना विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाने लगे. 1914 में उनकी मृत्यु तक उन्होंने यह काम किया.
यूजीन वॉन बॉम-बावेर्क की प्रमुख रचनाएं
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