पुराने और अप्रासंगिक कानूनों के समापन के अभियान को आगे बढ़ाते हुए थिंकटैंक सेंटर फ़ॉर सिविल सोसायटी द्वारा 26 नवम्बर अर्थात संविधान दिवस को ‘नेशनल रिपील लॉ डे’ के तौर पर मनाने की मांग कई वर्षों से जोरों शोरों से की जा रही है। सीसीएस की इस मांग को देश के प्रतिष्ठित कानूनविदों और संविधान विशेषज्ञों का समर्थन प्राप्त है। इसी विषय पर आज़ादी.मी के संपादक अविनाश चंद्र बातचीत कर रहे हैं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत नारंग से और जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर पुराने कानूनों के समापन से सुशासन को कैसे बढ़ावा मिलेगा और आम नागरिक के जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
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