22 अप्रैल: विश्व पृथ्वी दिवस

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जिस मिट्टी पर हम रहते हैं जिस मिट्टी से हम अनुगा के खाते हैं जीवन जीते हैं और जीवन जीने के बाद जिस मिट्टी में हम मिल जाते हैं उस मिट्टी की सेहत के बारे में क्या कभी सोचा आपने?

जी हां वैसे तो हम अक्सर कहते हैं यह धरती हमारी मां है लेकिन अपनी मां का ख्याल रखने में हम बिल्कुल भी सजग नहीं। इसके प्रति हमारी जागरूकता हमारी सबसे बड़ी कमी है। कभी नहीं सोचते जिस मिट्टी में उगाए हुए अनाज, सब्जियों को हम पौष्टिक आहार समझते हैं, उस मिट्टी की पौष्टिकता, स्वास्थ्य और संरक्षण कितना जरूरी है।

मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए महा अभियान की शुरुआत:

विश्व पृथ्वी दिवस के मौके पर मिट्टी की सेहत को सुधारने के संकल्प के साथ देश के 80 शहरों में लोग अपने घरों से निकल कर मृदा बचाओ अभियान के साथ जुड़े। इस अभियान का मकसद तेजी से खराब हो रही मिट्टी की सेहत की ओर ध्यान खींचना है, जिसमें लगातार ऑर्गेनिक तत्व खत्म हो रहे हैं। वाराणसी के अस्सी घाट से लेकर आगरा, गोवा और चेन्नई समेत 80 बड़े शहरों की प्रमुख जगहों पर इस कार्यक्रम में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया।

अपनी मिट्टी को बचाने के लिए यात्रा:

पैदल चल रहे, चेहरों पर मिट्टी का लेप लगाए और नुक्कड़ नाटक समेत कई तरह कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे स्वयंसेवकों ने कहा कि इससे अच्छा तरीका पृथ्वी दिवस मनाने का नहीं हो सकता था, हमने दशकों धरती मां को अनदेखा किया है। अब समय है उठ खड़े होने का और धरती को बचाने का।

ईशा फाउंडेशन के फाउंडर सद्गुरु ने किया आगाज:

मिट्टी बचाओ अभियान का आह्वान ईशा फाउंडेशन के फाउंडर सद्गुरु ने पिछले महीने किया था। सद्गुरू इस समय 100 दिन की ब्रिटेन से भारत की मोटरसाइकिल यात्रा पर हैं। 30,000 किमी मोटरसाइकिल चलाकर वो नागरिकों, नेताओं, और विशेषज्ञों से मिल कर मिट्टी की सेहत बचाने का संदेश दे रहे हैं।

सेव द साइल का उद्देश्य:

 

यात्रा का मकसद सभी देशों के नेताओं और प्रभावी लोगों से मिल कर ऐसी नीतियां बनाने पर जोर देना है कि जिससे मिट्टी में आर्गेनिक तत्व 3%-6% तक बढ़ जाएं। 21 मार्च को लंदन से अपनी यात्रा शुरू करने के बाद सद्गुरू कई देशों की यात्रा कर चुके हैं।

नहीं चेते हम तो होगा बड़ा नुकसान:

मिट्टी की सेहत को लेकर खतरे की घंटी बज चुकी है, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अगर अभी नहीं चेते तो वर्ष 2050 तक 90% मिट्टी खराब हो जाएगी। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार अगर मिट्टी का क्षरण न रोका गया तो अन्न उत्पादन अगले 20 वर्षों में 40% कम हो जाएगा। अकेले भारत में ही 62% मिट्टी में आर्गेनिक तत्व 0.5% से भी कम हैं।

बड़े-बड़े सेलिब्रिटी समर्थन में आए आगे:

 

'मिट्टी बचाओ अभियान' में अगर खिलाड़ियों की बात की जाए तो हरभजन सिंह, मैथ्यू हेडेन, विवियन रिचर्ड्स और एबी डिविलर्स जैसे क्रिकेटर भी मिट्टी के विनाश के प्रति अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं और 'मिट्टी बचाओ अभियान' के समर्थन में आगे आए हैं

बॉलीवुड एक्टर आर माधवन ने कहा, वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम के मुताबिक, दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी में किसी न किसी तरह की पोषण की कमी है। वैज्ञानिकों को संपन्न परिवारों के ऐसे लोगों का पता चल रहा है जो कुपोषण का शिकार हैं। इसे छिपी-भूख कहा जाता है। चूंकि आपका पेट भरा है तो आपको एहसास नहीं होता, लेकिन आपका शरीर इस कुपोषण के असर से पीड़ित है। हमारे भोजन में जरूरी तत्वों की कमी है क्योंकि हमारी मिट्टी खुद मर रही है। उसमें जैविक तत्वों की पर्याप्त मात्रा नहीं है। अगर हम अपनी मिट्टी को स्वस्थ नहीं रखते, तो हमारे और आने वाली पीढ़ियों के स्वस्थ रहने का कोई तरीका नहीं है। मिट्टी को बचाने का यही समय है। मिट्टी को बचाने और एक स्वस्थ और टिकने योग्य धरती बनाने के लिए मेरे प्रयासों में मेरे साथ जुड़ें।

अभिनेता अनुपम खेर ने सेव सॉयल पर ईशा होम स्कूल की एक युवा लड़की धूलिका के साथ अपनी बातचीत का एक मनोरम वीडियो पोस्ट किया। धुलिका ने जहां मिट्टी बचाओ आंदोलन के महत्व को समझाया, वहीं अभिनेता ने इस आंदोलन के लिए सद्गुरु की सराहना की और माना कि आने वाली पीढ़ियां इस कठिन यात्रा शुरू करने के लिए उनकी आभारी रहेंगी।

सद्गुरु यात्रा इस साल जून में कावेरी रिवर बेसिन में संपन्न होगी।

 

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