पेश हुआ उम्मीदों का बजट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना चौथा आम बजट संसद में पेश कर दिया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार प्रत्येक वित्त वर्ष की शुरुआत में सरकार को बजट पेश करना होता है।
क्या होता है आम बजट?
साधारण शब्दों में कहें तो आम बजट सरकार की कमाई और खर्च का ब्योरा होता है। केंद्रीय बजट को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। रेवेन्यू बजट और कैपिटल बजट।
रेवेन्यू बजट: ये बजट सरकार की कमाई और खर्च का लेखा-जोखा होता है। इसमें सरकार को मिलने वाला रेवेन्यू प्राप्ति या कमाई और रेवेन्यू खर्च शामिल होते हैं।
राजस्व खर्च सरकार के रोज के कामकाज और नागरिकों को दी जाने वाली सर्विसेज पर होने वाला खर्च है। यदि सरकार का रेवेन्यू खर्च उसकी रेवेन्यू प्राप्ति से ज्यादा होता है, तो सरकार को राजस्व घाटा या रेवेन्यू डेफिसिट होता है।
कैपिटल बजट: इसमें में सरकार की कैपिटल रिसीट या पूंजीगत प्राप्तियां और उसकी ओर से किए गए भुगतान शामिल होते हैं।
सरकार की कैपिटल रिसीट या प्राप्तियों में जनता से लिया गया लोन (बॉन्ड के रूप में), विदेशी सरकारों और भारतीय रिजर्व बैंक से लिए गए लोन का विवरण होता है। वहीं कैपिटल एक्सपेंडिचर या पूंजीगत खर्च में सरकार का मशीनरी, उपकरण, घर, स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा पर होने वाला खर्च शामिल होता है।
राजकोषीय घाटा: सरकार को राजकोषीय घाटा तब होता है जब सरकार का कुल खर्च उसकी कुल कमाई से ज्यादा हो जाता है।
कैसे तैयार होता है बजट?
बजट बनाने की तैयारी करीब 6 महीने पहले, यानी आमतौर पर सिंतबर में ही शुरू हो जाती है। सितंबर में मंत्रालयों, विभागों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सर्कुलर जारी कर आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए उनके खर्चों का अनुमान लगाते हुए उसके लिए जरूरी फंड का डेटा देने को कहा जाता है।
इन आंकड़ों के आधार पर ही बाद में बजट में जनकल्याण योजनाओं के लिए अलग-अलग मंत्रालयों को फंड एलोकेट होते हैं।
बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद वित्त मंत्री, वित्त सचिव, राजस्व सचिव और व्यय सचिव की हर दिन बैठक होती है।
अक्टूबर-नवंबर तक वित्त मंत्रालय दूसरे मंत्रालयों-विभागों के अधिकारियों के साथ मीटिंग करके ये तय करते हैं कि किस मंत्रालय या विभाग को कितना फंड दिया जाए।
बजट बनाने वाली टीम को पूरी प्रक्रिया के दौरान प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष के इनपुट लगातार मिलते रहे हैं। बजट टीम में अलग-अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होते हैं।
बजट बनाने और इसे पेश करने से पहले कई इंडस्ट्री ऑर्गनाइजेशन और इंडस्ट्री के जानकारों से भी वित्त मंत्री चर्चा करती हैं।
बजट से जुड़ी सारी चीजें फाइनल होने के बाद एक ब्लूप्रिंट तैयार किया जाता है। बजट को लेकर सब कुछ तय होने के बाद बजट दस्तावेज प्रिंट होता है।
आम बजट 2022 की अहम बातें:
- इसी साल लॉन्च होगी डिजिटल करेंसी:
ब्लॉकचेन और अन्य टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए इसी साल RBI डिजिटल रुपया जारी करेगा। इससे इकोनॉमी को बहुत अधिक बढ़ावा मिलेगा। क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर 30% का टैक्स लगाया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि वर्चुअल डिजिटल असेट्स के टैक्सेशन में बदलाव किया गया है। ऐसी किसी भी प्रॉपर्टी के ट्रांसफर पर 30% टैक्स लगेगा। कोई छूट नहीं मिलेगी। कॉर्पोरेट टैक्स को 18% से घटाकर 15% कर दिया गया है।
- निवेश के लिए 7.55 लाख करोड़
पूंजी निवेश से रोजगार बढ़ाने में बड़े उद्योगों और MSME दोनों से मदद मिलती है। महामारी के असर से बाहर निकलने के लिए यह जरूरी है। निजी निवेशकों की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसके लिए केंद्रीय बजट में 5.54 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 7.55 लाख करोड़ का प्रावधान कर दिया गया है। क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए सॉवेरन ग्रीन बॉन्ड्स जारी किए जाएंगे। इससे मिलने वाली रकम को ऐसे प्रोजेक्ट्स में लगाया जाएगा, जो कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में मददगार होंगे। सेमी कंडक्टर निर्माण के लिए इंडस्ट्री डेवलप की जाएगी। इससे निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।
- गेमिंग और एनिमेशन बनेंगे इकोनॉमी का हिस्सा
एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्, गेमिंग और कॉमिक्स यानी AVGC सेक्टर में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। ऐसे में AVGC प्रमोशन टास्क फोर्स इससे जुड़े सभी स्टाक होल्डर्स के साथ बातचीत करेगी। ऐसे रास्ते तलाशे जाएंगे जिससे हमारी घरेलू क्षमता के जरिए हम अपने बाजार और ग्लोबल मार्केट की जरूरतें पूरी कर सकें।
- रोजगार और गरीबों के लिए ऐलान
PM गति शक्ति मास्टर प्लान के तहत एक्सप्रेसवे बनेंगे। नेशनल हाईवे नेटवर्क 25 हजार किमी तक बढ़ाया जाएगा। इस मिशन के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। हमारी कोशिश 60 लाख नए रोजगार का सृजन करने की होगी। गरीबों के लिए 80 लाख घर बनाए जाएंगे। 48000 करोड़ रुपए इसका बजट है। 2022-23 में ई-पासपोर्ट जारी किए जाएंगे, जिनमें चिप लगी होगी। विदेश जाने वालों को सहूलियत होगी। डाकघरों में भी अब एटीएम मिलेंगे।
- MSME को 6 हजार करोड़
MSME को मजबूत करने के लिए नई योजनाएं शुरू होंगी। 5 साल में 6000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। उदयम, ई-श्रम, NCS और असीम पोर्टल आपस में जुड़ेंगे। इससे इनकी संभावनाएं और ज्यादा बढ़ेंगी। अब ये लाइव ऑर्गेनिक डेटाबेस के साथ काम करने वाले प्लेटफॉर्म होंगे। इनसे क्रेडिट सुविधाएं मिलेंगी और आंत्रप्रेन्योरशिप के लिए संभावनाएं बनेंगी।
- PM ई-विद्या प्रोग्राम का दायरा बढ़ा
महामारी के दौरान स्कूल बंद रहने से गांव के बच्चों को दो साल शिक्षा से वंचित रहना पड़ा। PM ई-विद्या के तहत ऐसे बच्चों के लिए एक क्लास-एक टीवी चैनल प्रोग्राम के तहत अब चैनल 12 से बढ़ाकर 200 कर दिए जाएंगे। ये चैनल क्षेत्रीय भाषाओं में होंगे। व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तकनीक की मदद ली जाएगी। एक डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी।
- 400 नई पीढ़ी की वंदेमातरम ट्रेनें चलेंगी
400 नई जेनरेशन की वंदेभारत ट्रेनें अगले 3 साल के दौरान चलाई जाएंगी। 100 प्रधानमंत्री गतिशक्ति कार्गो टर्मिनल भी इस दौरान डेवलप किए जाएंगे। मेट्रो सिस्टम को डेवलप करने के लिए इनोवेटिव रास्ते अपनाए जाएंगे।
- गंगा किनारे अब ऑर्गेनिक खेती
MSP का भुगतान सीधे किसानों के खाते में किया जाएगा। गंगा के किनारों के 5 किमी. के दायरे में आने वाली जमीन पर ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। खेती की जमीन के दस्तावेजों का डिजिटलीकरण होगा। राज्यों को एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के सिलेबस बदलने को कहा जाएगा, ताकि खेती की लागत को कम किया जा सके। फलों और सब्जियों की उन्नत किस्म अपनाने वाले किसानों की मदद के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करेंगे। किसानों को डिजिटल सर्विस मिलेगी, जिसमें दस्तावेज, खाद, बीज, दवाई से संबंधित सेवाएं शामिल हैं।
डिस्क्लेमर:
ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।
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