22 मार्च: विश्व जल दिवस
भारत में गहराता जल संकट। भयावह स्थिति से जूझते भारत के कई में लोग। 22 सदी के भारत में देश में हर साल दो लाख लोगों की हो रही मौत, 60 करोड़ लोगों के पास नहीं होगा पानी।
भारत में पानी की वजह से हर साल दो लाख लोगों की मौत हो रही है। 2030 तक ये स्थिति और विकराल हो जाएगी जब देश की लगभग 40 फीसदी आबादी के सामने पानी का संकट होगा। यही नहीं, एक तरफ तो देश का आबादी बढ़ रही है तो वहीं दूसरी ओर पानी के संसाधन उसकी अपेक्षा में कम हो रहे हैं।
भारत में हर साल साफ पानी न मिलने की वजह से दो लाख लोगों की मौत हो जाती है। यही नहीं, 2030 तक देश की लगभग 60 करोड़ आबादी को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। पिछले दिनों केंद्रीय जल मंत्रालय ने ये जानकारी लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में दिया।
17 मार्च 2022 को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में जल शक्ति मंत्रालय ने बताया कि 2030 तक भारत की लगभग 40 फीसदी आबादी के पास पीने का पानी नहीं होगा। नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकार ने बताया कि सबसे ज्यादा किल्लत दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद में हो सकती है। पानी की कमी तो हो ही रही है। साफा पानी भी बड़ी समस्या है।
पानी की उपलब्धता एक तिहाई रह गई:
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत में इस समय 1952 के मुकाबले पानी की उपलब्धता एक तिहाई ही रह गई है। जबकि इस दौरान आबादी 36 करोड़ से बढ़कर 135 करोड़ पहुंच चुकी है। जल का स्तर लगातार गिर गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार जल का स्तर हर साल एक फीट नीचे जा रहा है।
(जल संकट पर सरकार का जवाब)
सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के अनुसार उद्योग और ऊर्जा क्षेत्र में कुल भू-जल की मांग आज के करीब सात प्रतिशत के मुकाबले वर्ष 2025 तक 8.5 प्रतिशत हो जायेगी, जोकि वर्ष 2050 तक बढ़ कर करीब 10.1 प्रतिशत हो जायेगी। पानी की कमी के कारण देश की जीडीपी में छह प्रतिशत की कमी आ सकती है। 70 प्रतिशत प्रदूषित पानी के साथ भारत जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में 120वें पायदान पर है। जलसंकट के आधार पर 189 देशों में भारत 13वें पायदान पर है।
जलाशयों में तेजी से खत्म हो रहा पानी:
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत 91 जलाशय ऐसे हैं जिनमें महज 20 फीसदी पानी ही बचा है। पश्चिम और दक्षिण भारत के जलाशयों में पानी पिछले 10 वर्षों के औसत से भी नीचे चला गया है। जलाशयों में पानी की कमी की वजह से देश का करीब 42 फीसदी हिस्सा सूखाग्रस्त है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की करीब 5 फीसदी जनसंख्या (7.6 करोड़ लोग) के लिए पीने का पानी उपलब्ध नहीं है और करीब 1.4 लाख बच्चे हर साल गंदे पानी की वजह से होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं। जल संसाधन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश के 639 में से 158 जिलों के कई हिस्सों में भूजल खारा हो चुका है और उनमें प्रदूषण का स्तर सरकारी सुरक्षा मानकों को पार कर गया है।
साल तीन सेंटीमीटर कम हो रहा है पानी का भंडार:
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की एक रिपोर्ट ‘2021 स्टेट ऑफ क्लाइमेट सर्विसेज’ में बताया गया है कि भारत में पिछले 20 वर्षों (2002-2021) में स्थलीय जल संग्रहण में 1 सेमी. प्रति वर्ष की दर से गिरावट दर्ज की गई है। भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता वार्षिक प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता लगातार घट रही है। यह वर्ष 2001 के 1,816 क्यूबिक मीटर की तुलना में वर्ष 2011 में घटकर 1,545 क्यूबिक मीटर हो गई। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुसार प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता वर्ष 2031 में और घटकर 1,367 क्यूबिक मीटर हो जाएगी।
डिस्क्लेमर:
ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।
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