साक्षात्कार | केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

जल प्रबंधन की समस्या को लेकर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से सुनीता चौधरी की आज़ादी.मी के लिए खास बातचीत:

क्या दिल्ली को पानी की समस्या से निजात मिलेगी?

मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत:  मुझे उम्मीद है कि यह होगा। हमें जल प्रबंधन की समस्या है और इस समस्या को दूर करने में हमारा प्रयास लगातार जारी है । अगर बात हम दिल्ली की करें तो दिल्ली में 1.1 बिलियन लीटर पानी है जो सिर्फ सीवेज में बह जाता है ।  अगर हम कृषि में पानी की मात्रा का पुनः उपयोग करते हैं तो दिल्ली को भी पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा ! उसके लिए राज्य को आधारभूत संरचना तैयार करनी होगी और दिल्ली और हरियाणा को समझना होगा !

संसद में पानी के कुछ बिलों को लेकर चिंता है कि वह संघवाद का उल्लंघन कर सकते हैं ऐसे डर के बारे में आप क्या कहेंगे ? 

मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत: कहते हैं कि संविधान है कि अगर नदी पानी और बेसिन विवाद है तो संसद किसी भी कानून को लागू करने के लिए सक्षम है इस संबंध में पहला अधिनियम जो 1956 में लाया गया था मेरे विपक्षी मित्रों का बांध सुरक्षा के बिल के बारे में कहना है कि हम संघीय ढांचे के हस्तक्षेप कर रहे हैं लेकिन मैं सहमत हूं यदि ऐसा कोई मुद्दा है जिसका संविधान में उल्लेख नहीं है तो संसद को उस पर कानून बनाने का अधिकार है किसी भी सूची में बाद सुरक्षा का उल्लेख नहीं किया गया है इसलिए हमारे पास ऐसा करने की क्षमता है भारत में 5,100 से अधिक बांध हैं और 400 बांधों का निर्माण किया जा रहा है हम अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा बांध मालिक हैं ! उसमें से एक हजार से अधिक एक 100 साल से अधिक पुराने हैं और उनके लिए कोई सुरक्षा प्रोटोकॉल नहीं है भारत में जलाते टूटने के 40 उदाहरण है जिन से बहुत नुकसान हुआ था ! अगर कोई जला से टूटता है तो कई लोगों की जान दांव पर लगी है क्या हम ऐसा कर सकते हैं राज्यों के पास उन्हें बनाए रखने के लिए तकनीक या समर्थन भी नहीं है  ! कोई बांध अंतर राज्य नदियों पर है तो उन्हें कौन संभालता है ,1982 में उन्होंने एक बाद सुरक्षा कानून को अपनाने की कोशिश की ,लेकिन केवल केरल और आंध्र प्रदेश ने इसे अपनाया, इसलिए वह सारा काम अब हमारे द्वारा किया जा रहा है !

हाल ही में आप दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ एक कार्यक्रम में दिखें  ! दो विरोधी नेताओं को एक मंच देखना दिलचस्प था, वह जल परियोजना से जुड़ा कार्यक्रम था , इस पर आप क्या कहेंगे ? 

मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत:  जिस परियोजना में मैंने केजरीवाल जी के साथ भाग लिया था वह केंद्र द्वारा पचासी प्रतिशत वित्त पोषित है अतः पानी राजनीतिक विचारों और संबंध दाताओं से परे होना चाहिए। यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है एक वैश्विक मुद्दा है। भारत के लिए ये अधिक प्रसांगिक है। क्योंकि हमारे पास दुनिया की आबादी का 18 प्रतिशत पानी है और केवल 4% पानी की आपूर्ति है। हमारे पानी को सबसे अधिक दूषित माना जाता है । तो हम इसे कैसे करेंगे इजराइल जैसे देश जिससे हमारे जैसे ही समय के आसपास आजादी मिली और वहां 200 मिली मीटर से कम वर्षा होती है फिर भी इजराइल में प्रचुर मात्रा में पानी उपलब्ध है और वह पीने का पानी निर्यात भी करता है। यहां तक की कंबोडिया जो इजरायल के विपरीत एक गरीब देश है और वह भी जल सुरक्षा में हम से कहीं अधिक मजबूत है और हमारे पास 1000 मिलीलीटर वर्षा होती है कुछ भागों में अगर हम इसका समुचित उपयोग करें और जल प्रबंधन की समुचित व्यवस्था हो जाएगी तो हम जल निर्यात भी कर सकेंगे। इसराइल ने यह पानी का एकत्रीकरण विवेकपूर्ण उपयोग इसका पुनर्चक्रण और नदियों का कायाकल्प जैसे चार स्तंभों के साथ किया जहां तक भूजल का संबंध है। 65 फ़ीसदी कृषि उसी पर निर्भर है या एक अदृश्य सोच है और एक अध्ययन कहता है कि इसका एक चौथाई हिस्सा सूख रहा है इसलिए हमें भूजल रिचार्ज का काम शुरू करना होगा !

इन कार्यों में कैसे सुधार लाया जा सकता है, इसके लिए कुछ कदम उठाए जा रहे हैं क्या ? 

मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत: इस समस्या का प्रमुख हाल जागरूकता और प्रतिबद्धता है। अब भी हम कम पानी बरसने से बचाने की बात करते हैं और बैठकों में  उद्योगों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पानी की कम सेवा करते हैं । क्या आप जानते हैं कि घरेलू जल का उपयोग केवल 6% है और उद्योग जल का उपयोग 5% है , 89% पानी का उपयोग कृषि द्वारा किया जाता है। अगर हम उसका 10% भी बचा लें तो हमें भी भारत को अगले 5 वर्षों तक पानी की कोई चिंता नहीं होगी !

इस पर सरकार काम कर रही है क्या ? 

मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत: हां जरूर ! इसीलिए हम खेतों में मुफ्त बिजली देते हैं ,इसीलिए पानी बाहर पंप किया जाता है, और हम इसे बिना किसी चिंता के बाहर निकालते रहते हैं, इसीलिए मैं इसकी पहल के लिए हरियाणा की सराहना करता हूं उन्होंने धान के बजाय मक्के की वृद्धि को प्रोत्साहित किया कहां की यदि आप मक्का उगाते हैं तो हम सभी की खरीद करेंगे, उन्होंने कहा कि हम धान के बजाय मक्का उगाने के लिए ₹2000 प्रति एकड़ देंगे, महाराष्ट्र सरकार ने गन्ने के साथ -साथ भी वही किया जो एक वाटर गीजर है उन्होंने कहा अगर आप गन्ना उगाते हैं तो आपको ड्रिप इरिगेशन करनी होगी, इससे 60% पानी की बचत होगी । यदि पंजाब को ले ले तो जिसमें किसानों के लिए मुफ्त बिजली है उसके पास बिजली बचाओ पैसा कमाओ नाम की एक योजना है, प्रत्येक राज्य को उन नए तरीकों के बारे में सोचना होगा जो उनके लिए काम करते हैं, जिससे पानी की खपत कम हो और किसानों की आय भी हो, हमने एक संकल्प लिया है कि कुछ ही दिनों में सभी जलविदों को दिखाने के लिए 240 जलयुक्त जिलों को मैप किया जाएगा, और इस संबंध में एक टीम गठित कर ,इस पर शोध करेगी

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