हाल में टीवी पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने बड़े नाटकीय अंदाज में कहा, ‘भारत सरकार को स्पष्ट करना होगा कि वह वालमार्ट के साथ है कि इस देश के आम आदमी के साथ’।
मैंने जब उनका यह वक्तव्य सुना तो कुछ क्षणों के लिए हैरान रह गई। क्या ममता दी इतना भी नहीं समझ सकी हैं कि इस तरह की बातें करके वे भारत माता की तौहीन कर रही हैं? क्या इतना भी नहीं समझी हैं कि इतने विशाल, शक्तिशाली देश को विदेशी निवेशकों से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है? क्या इतना भी नहीं याद है उन्हें कि कितनी गुरबत हुआ करती थी इस देश में जब विदेशी निवेशकों का नामोनिशान न था?