महिलाएं और यूपी चुनाव
यूपी में बना रिकॉर्ड। स्वतंत्रता के बाद से पहली बार सबसे अधिक महिलाएं चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं।
आधी आबादी की राजनीति में सहभागिता:
हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों के बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर की राज्य विधानसभाओं में 55 वर्ष से अधिक उम्र के विधायकों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। साथ ही महिलाओं की सदन में भागीदारी को लेकर भी ये चुनाव ऐतिहासिक परिणाम लेकर आए हैं।
इस बार चुनाव परिणामों में महिलाओं की राजनीति में सक्रियता की मिसाल पेश की है। यह इंदिरा गाँधी के बाद से अब हुआ है। इस चुनाव का यदि हम लैंगिक द्रष्टिकोण से विश्लेषण करें तो पाएंगे कि, देश कि आधी आबादी कि इस चुनावी समर में मुख्य़ भूमिका रही है। उसका ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के इतिहास में आज तक ऐसा नहीं हुआ। ये पहली बार है जब एकसाथ 47 महिलाएं विधानसभा में आधी आबादी की आवाज बनेंगी।
महिलाओं के लिए पार्टियों का कैंपेन:
उत्तर प्रदेश में सत्ता में आई भाजपा ने इस बार महिला सुरक्षा का मुद्दा बढ़ चढ़कर उठाया। महिलाओं को कानून व्यवस्था से मिले लाभ को प्रमुखता से उठाया गया। साथी गृहणियों को उज्जवला योजना के सिलेंडर, मुफ्त अनाज, पेंशन, प्रधानमंत्री आवास आदि प्रमुख रहे।
समाजवादी पार्टी ने भी इस चुनाव में युवा महिला प्रत्याशियों को उतारा और कांग्रेस की प्रियंका गान्धी ने भी लड़की हूँ लड़ सकती हूं के स्लोगन के साथ कई सीटों पर महिलाओं को टिकट दिया।
यूपी में इस बार 560 महिलाओं ने लड़ा था विधानसभा चुनाव:
इस बार 560 महिला उम्मीदवारों ने यूपी चुनाव लड़ा। इनमें से 47 की जीत हुई। सबसे ज्यादा भाजपा की 29 महिला प्रत्याशियों को जीत मिली है। समाजवादी पार्टी की 14 महिला प्रत्याशी विधायक चुनी गईं हैं। कांग्रेस ने इस बार सबसे ज्यादा महिलाओं को टिकट दिया था, लेकिन सिर्फ एक सीट पर ही जीत मिली है। इसके अलावा अपना दल (सोनेलाल) की तीन महिला प्रत्याशी विधायक चुनी गईं।
महिलाओं की दृष्टि से 2017 विधानसभा चुनाव के परिणाम:
2017 में सबसे ज्यादा 41 महिलाओं ने जीत हासिल की थी। बाद में अलग-अलग क्षेत्रों के लिए हुए उप-चुनाव में तीन अन्य महिलाओं ने भी जीत हासिल की थी। इस तरह से मौजूदा समय यूपी विधानसभा में 44 महिला सदस्य हैं। अब ये बढ़कर 47 हो गई है।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी से होगा फायदा:
भारतीय राजनीति और विधायिका में बढ़ती महिलाओ की सहभागिता महिलाओं के मुद्दों, जरूरतों और एक राष्ट्र एवं सरकार के रूप में महिलाओं की क्या अपेक्षाएं एक सरकार से होती हैं ये अवगत करवाने के लिए बेशक ये चुनी हुई महिलाएं कारगर कदम उठाएंगी जिससे भविष्य में महिलाओं के चहुमुखी विकास को बल मिलेगा।
महिला सुरक्षा, सशक्तिकरण, आर्थिक, सामाजिक,राजनैतिक आज़ादी का अर्थ तभी सार्थक होगा जब महिलाएं स्वयं अपनी बातों को विधानसभा में रख सकें उनके लिए किसी पुरुष को लाठी और आवाज़ न बनना पड़े। इसी को ध्यान में रखते हुए और महिला सशक्तीकरण के लिए कृतसंकल्पित होकर ये चुनी हुई सरकारें कार्य करे, इसका हमें निरन्तर ध्यान रखने की आवश्यकता है।
कब-कब कितनी महिलाएं पहुंची विधानसभा?
वर्ष महिला प्रत्याशी कितनी विधायक बनीं:
साल लड़ीं जीती
2022 560 47
2017 482 42
2012 583 35
2007 370 23
2002 344 26
1996 117 20
1993 259 14
1991 226 10
1989 207 18
युवाओं का कमाल, महिलाओं की धमक भी जोरदार:
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के एक विश्लेषण के मुताबिक 55 साल या उससे कम उम्र के विधायकों का अनुपात 2022 में घटकर 59.5 फीसदी रह गया, जो 2017 में 64.7 फीसदी था। दूसरी ओर, तीन नवनिर्वाचित विधानसभाओं में निवर्तमान सदन की तुलना में वर्तमान में महिला विधायक अधिक हैं।
सुधार हुआ लेकिन स्थिति अभी भी निराशाजनक:
उत्तर प्रदेश में 403 सीटों में से 47 पर महिला विधायक चुनी गईं। सही मायने में ये संख्या अभी भी काफी कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि आबादी के मामले में महिला और पुरुष दोनों लगभग बराबर ही हैं। वोट देने के मामले में भी महिलाएं पुरुषों के बराबर हैं। लेकिन जब विधायक बनने या किसी बड़े पद की बात आती है तो आधी आबादी की संख्या काफी कम हो जाती है।
ये चुनाव महिला उम्मीदवारों से जुड़े कई राजनैतिक पूर्वाग्रहों को दूर करने में मददगार साबित हो सकता है। साथ ही महिलाओं का राजनीतिक सशक्तीकरण करने भी कारगर सिद्ध होगा।
डिस्क्लेमर:
ऊपर व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और ये आवश्यक रूप से आजादी.मी के विचारों को परिलक्षित नहीं करते हैं।
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