सार्वजनिक नीति - लेख
उत्कृष्ट शिक्षा के माधयम से पहुंच में सुधार
सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी की अति महत्वपूर्ण परियोजना का नाम स्कूल चयन अभियान है और इसे वर्ष 2007 में आरंभ किया गया था। यह ऐसा अभियान है जिसमें वर्तमान भारत के स्कूली शिक्षा पध्दति में बहुत ही जरूरी सुधार किए जाएंगे और इसके लिए शिक्षा प्रमाणकों, नियामक सुधारों और प्रोत्साहक शिक्षा जिज्ञासुओं की त्रि-भुजा पहुंच का प्रयोग किया जाएगा।
40 प्रतिशत भारतवासी अशिक्षित हैं, और सरकारी स्कूल भारत के बच्चों की जरूरतों पर खरे नहीं उतरते। नागरिक समाज केन्द्र गुण सुधार, विशेषकर गरीबों के लिए शिक्षा की पहुंच पर प्रकाश डालता है। नीति निर्धारकों, शिक्षा विशेषज्ञों और आम कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर स्कूली चयन अभियान हमारा ध्यान दाखिले के अवरोधों को हटाने और शिक्षा प्राप्त करने वालों को प्रोत्साहित में केन्द्रित करता है और स्कूलों और कॉलेजों को लाभप्रद बनाते हुए विधि और विस्तार की गुंजाइश और शिक्षा प्रमाणकों के माधयम से प्रतिस्पर्धाओं की ओर आगे बढ़ता है।
अधिक जानकारी के लिये देखें: स्कूल चयन अभियान
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एक बार फिर स्कूल एडमीशन की सरगर्मियां जोरो पर है। इसी बीच स्कूल संगठनों ने यह मांग दोहराई है कि उन्हें मैनेजमेंट कोटा के अंन्तर्गत एडमीशन की छूट दी जाए। पर जिस तरह से मैनेजमेंट सीटों की नीलामी की जाती है, उसे देखते हुए सरकार शायद ही इसे छूट दे। आखिर ऐसा क्यों है कि निजी स्कूल मनमाने पैसे वसूल कर नर्सरी में दाखिला देना चाहते है?
एक अनुमान के अनुसार, दिल्ली में एक लाख के करीब निजी नर्सरी सीटें और चार लाख बच्चे हैं। यह विडंबना ही है कि दिल्ली में सर्वोत्तम स्कूलों में से

- प्राथमिक शिक्षा पर आधारित कॉफी टेबल बुक "बूंदें" का हुआ विमोचन
- आरटी में निशुल्क शिक्षा का प्रावधान, लेकिन केंद्रीय विद्यालयों में ली जाती है फीसः कुलभूषण शर्मा
- आरटीई के कारण निजी स्कूलों पर तालाबंदी का मंडरा रहा खतराः डा. पार्थ जे शाह
नई दिल्ली। प्रॉक्टर एंड गैम्बल इंडिया के पूर्व सीईओ व इंडिया अनबाऊंड के लेखक


