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प्रकृति ने फिर एक बार कहर ढाकर पूरे जीव जगत को झकझोरकर रख दिया। जापान में पहले तो उच्च तीव्रता का भूकंप आया, जिससे तटीय इलाकों के भवनों और निर्माणों में आग लग गई और उसके बाद सुनामी की 10 मीटर ऊंची लहरों ने जो तबाही मचाई, उसके दृश्य पूरी दुनिया ने देखे। ऎसा लग रहा था मानो शहर के अंदर किसी ज्वालामुखी का लावा बह रहा हो। कहीं आग, तो कहीं पानी का सैलाब और उसमें उखड़कर बहते विकास के प्रतीकों का ऎसा मंजर शायद ही पहले कभी देखा गया होगा।
टापुओं के देश जापान में आया 8.9 तीव्रता का भूकंप तो...

क्या सिर्फ कुर्सी पर बैठा भर लेने से नारी को सशक्त बनाया जा सकता है? नहीं- इस के लिए तो सबसे पहले हमें अपनी सोच बदलनी होगी और नारी को भी अपने विचारों को और आचरण से सुदृढ़ बनाना होगा। अगर कुर्सी पर बैठो तो फिर इंदिरा बनो, लक्ष्मी बाई बनो बनो। तब सार्थकता है कि नारी भी नर के कंधे से कन्धा मिलाकर चल सकती है और वे उसको अपनी सहयोगी और समकक्ष समझ सकते हैं।
महिला आरक्षण की मांग हर तरफ उठ रही है। लेकिन उस आरक्षण की दुर्दशा अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के ग्राम प्रधान...

मिस्र ‘आज़ाद’ हो गया। यह एक ऐतिहासिक लम्हा है। अरब देशों के इतिहास में यह पहला मौक़ा है जब जनता के दबाव में शासक को झुकना पड़ा हो। बहुत सारे लोग इस क्षण में क्रांति की अनन्त सम्भावनाएं देख सकते हैं। पर मेरा नज़रिया हमेशा की तरह थोड़ा संशयपूर्ण है। ये कोई समाजवादी क्रांति नहीं है। ये सर्वहारा का जयघोष भी नहीं है। ये व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की लड़ाई भी नहीं है। इस आन्दोलन में पहले से बने-बनाए समीकरण आरोपित करने के बजाए इसको इसकी सीमाओं में पहचानने की ज़रूरत है। ये कैसी आज़ादी है? किस से आज़ादी है?...

उड़ीसा में नक्सलियों ने जिस तरह से मलकानगिरी जिले के जिलाधिकारी आर वी कृष्णा का अपहरण किया उस से तो यही लगता है कि आने वाले समय में सरकारी स्तर पर की जाने वाली इस लापरवाही से नक्सली कुछ लाभ उठा सकते हैं. माओवादियों के दबाव में आते हुए राज्य सरकार ने मलकानगिरी जिले समेत पूरे राज्य में माओवादियों के खिलाफ़ अपने अभियान को रोकने का आदेश जारी कर दिया. इस पूरे मसले को देखते हुए यही लगता है कि कहीं न कहीं से सरकारी अधिकारियों द्वारा सुरक्षा के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है और साथ ही यह भी हो सकता है कि किसी दूर दराज़...

मौजूद समय में हम आसानी से कह सकते हैं कि भारत और चीन विश्व आर्थिक जगत की महाशक्तियां बन गयी हैं. व्यापार जगत में दुनिया को पछाड़ना इतना आसान नहीं था, खासकर उन ऐसे दो देशों के लिए जो कई साल तक गुलामी की बेड़ियों से जकड़े हुए थे. परन्तु दोनों देशों ने अपने अतीत से सीख लेकर अपना भविष्य सुदृढ़ बनाया.
भारत और चीन की सफलता का मुख्य कारण उनकी उदारीकरण की नीति को कह सकते हैं. जहां चीन ने 80 के दशक में ओपन डोर पॉलिसी अपनाई वहीं भारत ने 1992 के दशक में एमपीजी की नीति अपनाई. क्योंकि चीन ने...

एक तरफ करोड़ों रु. खर्च कर सरकार विभिन्न रोजगार योजनाएँ चला रही है। जबकि दूसरी ओर ऐसे कई कानून हैं, जो आम आदमी को ईमानदारी से कमाने से रोकती हैं। रिक्शा चलाने वालों से संबंधित कानून इसका जीता जागता उदाहरण है।
दिल्ली में रिक्शा चलाना सरल नहीं है। दिल्ली नगर निगम साइकिल रिक्शा बायलॉज के प्रावधानों तथा सड़क जाम के मद्देनजर रिक्शा चलाने वालों पर तमाम बंदिशें लादी गयीं हैं। जैसे रिक्शा चलाने के लिए लाइसेंस अनिवार्य है। रिक्शा का मालिक ही रिक्शा चालक हो सकता है। एक व्यक्ति एक से अधिक रिक्शा नहीं रख...

सरकार को सार्वजनिक कार्यों की व्यवस्था करनी चाहिए अथवा वित्तीय सहायता देनी चाहिए, पर वास्तविक प्रबंधन निजी क्षेत्र के लिए ही छोड़ दिया जाना चाहिए। इस विचारधारा के तहत सरकार और निजी क्षेत्र के उद्यमी मिलजुल कर व्यवस्था की गाड़ी को आगे बढ़ाते हैं। सरकार जहाँ दिशा-निर्देशक अथवा मार्गदर्शक की भूमिका निभाती है, वहीं वास्तविक धरातल पर कार्यों को अंजाम देने का कार्य निजी क्षेत्र के उद्यमी करते हैं। इस व्यवस्था में कार्यों की बारीकियों में उलझने की जगह सरकार का ध्यान इस बात पर केंद्रित रहता है कि उसे हासिल क्या करना है। इस तरह...

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इस बार के बजट में गरीबो, किसानों, उद्यमियों के साथ आम उपभोक्ताओं को खुश करने के लिए कई नए कदम उठाये हैं.
अगर वित्तीय परिव्यय की बात करें तो राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के बजट को बढ़ाकर 7,860 करोड़ किया जा रहा है तथा शिक्षा क्षेत्र के लिए 24 प्रतिशत की वृद्धि कर कुल 52057 करोड़ का प्रावधान किया गया है. अगले वित्त वर्ष में भारत निर्माण योजना के लिए कुल मिलाकर 58,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है जो की मौजूदा वित्त वर्ष की तुलना में 10,000 करोड़ रुपए अधिक है।...